लेखक प्रवीण कक्कड़ पूर्व पुलिस अधिकारी हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के पूर्व विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी रहे हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
“कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।” सुविख्यात कवि रहीमदास द्वारा रचित यह दोहा हम सब ने अपने किताबों में पढ़ा है। इस दोहे के माध्यम से कवि हम से कहता है, जब व्यक्ति के पास संपत्ति होती है तब उसके अनेक सगे-संबंधी तथा मित्र बनते हैं, उसके समीप आते हैं, पर विपत्ती के समय में जो आपका साथ दे, वहीं सच्चा मित्र है। आमतौर पर हम उसे दोस्त मानते हैं जो हमारे साथ पढ़ता है, काम करता है, खेलता है या मौज मस्ती करता है लेकिन इसके वास्तविक मायने काफी गहरे हैं। वास्तव में दोस्ती संसार की सबसे कीमती दौलत है अगर यह समय, साथ और समर्पण के सूत्र से बंधी हो।
आज फ्रेंडशिप डे है। अन्तरराष्ट्रीय मित्रता दिवस या फ्रेंडशिप डे प्रत्येक वर्ष अगस्त के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। सर्वप्रथम मित्रता दिवस 1958 को आयोजित किया गया था। वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे दोस्ती मनाने के लिए एक खास दिन है। यह दिन अमेरिकी देशों में बहुत लोकप्रिय उत्सव हो गया था जबसे पहली बार 1958 में पराग्वे में इसे ‘अन्तरराष्ट्रीय मैत्री दिवस’ के रूप में मनाया गया था। आरम्भ में ग्रीटिंग कार्ड उद्योग द्वारा इसे काफी प्रमोट किया गया, बाद में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा और इंटरनेट के प्रसार के साथ साथ इसका प्रचलन विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश और मलेशिया में फैल गया। इंटरनेट और सेल फोन जैसे डिजिटल संचार के साधनों ने इस परम्परा को को लोकप्रिय बनाने में बहुत सहायता की।
फ्रेंडशिप डे को सेलिब्रेट करना भले ही आज मॉडर्न ट्रेंड हो, लेकिन दोस्ती की यह परंपरा प्राचीन है। राम-सु्ग्रीव व कृष्ण-सुदामा से लेकर अकबर-बीरबल तक कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनकी दोस्ती की आज भी चर्चा होती है। भारत के इतिहास व अनुश्रुतियों में इस तरह के कई उदाहरण दर्ज हैं। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे खून के रिश्ते की जरूरत नहीं होती।
व्यक्ति को प्रत्येक रिश्ता अपने जन्म से ही प्राप्त होता है, अन्य शब्दों में कहें तो ईश्वर पहले से बना के देता है, पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसका चुनाव व्यक्ति स्वयं करता है। सच्ची मित्रता रंग-रूप नहीं देखता, जात-पात नहीं देखता, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी तथा इसी प्रकार के किसी भी भेद-भाव का खंडन करती है। आमतौर पर यह समझा जाता है, मित्रता हम-उम्र के मध्य होती है पर यह गलत है मित्रता किसी भी उर्म में और किसी के साथ भी हो सकती है। जरा सोच कर देखिए बिना दोस्तों की जिंदगी कितनी बोरिंग सी लगती है. हम किसके साथ अपने दिल की बात शेयर करते और बातों-बातों में किसकी टांग खींचते हैं। हंसी-मजाक, रूठना- मनाना बस यही है दोस्ती।
व्यक्ति के जन्म के बाद से वह अपनों के मध्य रहता है, खेलता है, उनसें सीखता है पर हर बात व्यक्ति हर किसी से साझा नहीं कर सकता। व्यक्ति का सच्चा मित्र ही उसके प्रत्येक राज़ को जानता है। पुस्तक ज्ञान की कुंजी है तो एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय, जो हमें समय-समय पर जीवन की कठिनाईयों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में दोस्तों की मुख्य भूमिका होती है। ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में दोस्त भी वैसा ही चुनता है और व्यक्ति से कुछ गलत होता है तो समाज उसके दोस्तों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझते हैं। क्योकि दोस्तों का फर्ज होता है कि अगर दोस्त से गलती हो तो उसे सही राह दिखाएं और सदमार्ग पर लाने का प्रयास करें।
जीवन के हर मोड़ में एक नया दोस्त बनता है। लेकिन गहरा संबंध कुछ ही दोस्तों के साथ हो पाता है हर जगह नहीं मुलाकात में एक नए दोस्त के रुप में कोई न कोई व्यक्ति आपके सामने जरूर आता है। लेकिन हर किसी के साथ गहरी दोस्ती नहीं हो पाती है। दोस्ती में कई बार झगड़े भी होते हैं। लेकिन बिना किसी घमंड के एक दूसरे से माफी मांग ली जाती है। क्योंकि यह रिश्ता निस्वार्थ रिश्ता है।
आखिर में इतना कहूँगा कि अच्छे दोस्त बनाओ, कभी भी अपने दोस्तों का दिल मत दुखाओ और उन्हें कभी धोखा नहीं दो । चाहे दुःख हो या सुख हमेशा एक दूसरे का साथ दो और एक दूसरे की हमेशा सहायता करो। यही दोस्ती का असली रूप और असली मजा है।