लेखक श्री मुकेश नेमा, मध्यप्रदेश शासन में एडिशनल कमिश्नर एक्साइज है।
एक्सपोज़ टुडे,भोपाल।
बाबूओं की जितनी भी सलाहें दी गई हैं आज तक उनमे से गीतादत्त की बाबूजी धीरे चलना वाली सलाह का कोई मुक़ाबला नही ! आपकी जानकारी के लिये ,ये वाले बाबू जी सरकारी दफ़्तरों के बाबू नहीं है ! वो तो हमेशा से धीमे चलते है ,धीमी गति के समाचार होते है सरकारी बाबू ,ये सलाह उन बाबुओं के लिये है जो असरकारी हैं ! किसी सुंदर कन्या के बाबू है ! और ताज़े ताज़े ही बाबू हुये हैं !
होता यही है किसी सुंदर कन्या का बाबूत्व प्राप्त करते ही आदमी बाबूराव हो जाता है ,आसमान मे उड़ने लगता है ,अपने बाप से हासिल सेकेंडहैंड लूना को चाँद पर उतारने के लिये मचल उठता है ! शाहरुख़ खान समझने लगता है अपने आपको ,जल्दीबाज हो जाता है ! सब कुछ फौरन हासिल कर लेना चाहता है ! अपने बाबूपने के कारण खोया खोया रहता है और अकेला पड जाता है ! जमाना किसी को बाबू होकर खुश नही देखना चाहता ! दुश्मन हो जाता है उसका ! आमतौर पर बाबू ज़माने की भीड के सामने अकेला पड जाता है और पटक लिया जाता है !
प्यार मे पड़ते ही बाबूओ के दिमाग की लाईटे ऑफ़ हो जाती है ,इसके बावजूद बाबू प्यार की राह पर तेज चलता है ,दौड़ना चाहता है जबकि इस राह मे बडे बडे धोखे उसका इंतज़ार कर रहे होते है ! जिसे फ़ोर लेन समझता है वो काँटो भरी पगडंडी होती है ! लडकी के जिस भाई को वह उस तक पहुँचने का पुल समझता है ,दरअसल वो खाई होता है ,दोस्त स्पीडब्रेकर्स मे तब्दील हो जाते है ,खुद का बाप ट्रैफिक हवलदार निकलता है ! बहुत से अंधे मोड़ मौजूद होते है प्यार की राह मे ,बाबू प्यार की राह मे संभल नही पाता ! तेज चलता है ! यथासमय ब्रेक नही लगा पाता और एक्सीडेंट कर बैठता है !
अब फ़र्ज़ कीजिये हवा हवाई बाबू एक्सीडेंट कर ही बैठा है ! खरोंचे लगा बैठा है अपने तन मन पर ! गमगीन है ,लडकी अपने बाप और दुनिया के प्रेशर मे उससे मुँह मोड़ चुकी ! अनबन हो चुकी लव बर्ड्स के बीच ! प्याला ओठो तक आने के पहले ही टूट चुका ! बाबू कन्फ्यूज है अब ! किंकर्तव्य विमूढता की स्थिति मे है वो अब ! क्या करें ,कहाँ जाये टाईप का माहौल है ! ऐसे बाबुओ को निराशा के भँवर से उबारने के लिये गीतादत्त ने जो तरीक़ा बताया है वो अनमोल है ! वो कहती है कि जब भी किसी से अनबन हो जाये तो बाबू को फ़ौरन कोई दूसरा दामन थाम लेना चाहिये ! लड़कियों के दामन होते ही इसलिये है कि कोई चोट खाया बाबू उन्हे थाम ले और अपने आँसू पोंछ ले !
प्यार वाले पनघट की डगर बड़ी कठिन होती है ,ताज़ा ताज़ा बना बाबू जमुना से मटकी भरने के लिये दौड़ता फाँदता चलता है और रपटीली डगर पर फिसल कर मुँह तुड़वा लेता है ,गीतादत्त बाबुओ की शुभचिंतक है वे चाहती हैं कि बाबुओ का मुँह सुरक्षित रहे ,इसलिये वो ये काम की बात बता गई हैं !
कुल मिलाकर बाबूजी धीरे चलना गीता है बाबुओं की , हर लडके का फ़र्ज़ है कि बाबू होते ही इस गाने का रोज पारायण करे ,अमल करे इसमे बताई गयी बातो पर ! कोई समझदार कह ही गया है कि धीरे चलना सुरक्षित पहुँचना है ! बड़े धोखे है इस राह में ,ऐसे मे बाबुओं के लिये धीरे चलने की सलाह से अच्छा और कुछ नही है !
सन्दर्भ – बाबूजी धीरे चलना
गायिका – गीतादत्त
गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी
फिल्म – आरपार
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मुकेश नेमा