लेखक प्रवीण कक्कड़ पूर्व पुलिस अधिकारी हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के पूर्व विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी रहे हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
सर्दी के मौसम में दैहिक, दैविक और भौतिक रूप से स्वस्थ रह कर इस मौसम का आनंद लिया जा सकता है। भौतिक स्वास्थ्य का अर्थ है अपने जीवन में संतोष को प्राथमिकता दें, ताकि मन की शांति बनी रहे। 99 को 100 करने के फेर में न रहें। जो है
उसका आनंद लें और अधिक है तो दूसरों में बांट कर उन्हें भी आनंदित करें। गरीबों को कंबल, दवा, भोजन,
ईंधन, आश्रय जिस भी रूप में सहायता कर सकते हैं, करें ताकि ठंड उनकी दैहिक और आत्मिक शांति में अभिवृद्धि करे।
इसके बाद है दैविक स्वास्थ्य। सर्दियां आध्यात्मिक चेतना में अभिवृद्धि करती हैं। मन को ईश्वर पर केंद्रित करने और एकाग्रता से ध्यान करने के लिए यह सर्वोत्तम समय है। अपनी
दिनचर्या बनाकर प्रभु का ध्यान करें। चिंतन, मनन करें। धर्म ग्रंथों का पठन-पाठन करें।
यह तो है दैविक और भौतिक स्वास्थ्य की बात। किंतु सर्दियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है शारीरिक स्वास्थ्य। सर्दियों में भी शारीरिक स्वास्थ्य के दो पहलू हैं, आहार और विहार। सबसे पहले आहार की चर्चा। शरीर को सेहतमंद बनाने और वर्षभर की सेहत के लिए तैयार करने का सर्वोत्तम समय है सर्दी। शीत ऋतु में शरीर को सालभर के लिए उपयोगी विटामिंस, मिनरल्स, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फास्फोरस, जिंक आदि की आपूर्ति की जा सकती है। बरसात में पाचन क्रिया मंद रहती है इसलिए हल्का भोजन ही रुचिकर लगता है। गर्मी के दिनों में भी अत्यधिक खाने की इच्छा नहीं होती। किंतु सर्दियों में पर्याप्त भूख भी लगती है और शरीर के भीतर भोजन पचाने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। इसलिए अपने आहार में फल, सब्जी, सूखे मेवे, साबुत अनाज, दालें सलाद, अंकुरित अनाज, दलहन आदि का समावेश आवश्यक रूप से
करें। साल भर के फास्फोरस की आपूर्ति करने के लिए सर्दी के दिनों में कंद की सब्जी भी खाना उचित रहता है। जो शाकाहारी ओमेगा की आपूर्ति को लेकर चिंतित रहते हैं उन्हें इस सीजन में अलसी, सोयाबीन तेल, सरसों – मेथी बीज और भाजी, काला चना, लाल राजमा, सहजन की पत्तियां, पालक, अखरोट आदि का सेवन करना चाहिए।
दूसरा पहलू है विहार। विहार यानी शारीरिक व्यायाम और गतिविधियां। जिन लोगों की उम्र 40 वर्ष से अधिक है उन्हें सर्दी में घूमने का सर्वोत्तम समय शाम को 4:30 के बाद 6:00 बजे तक है। इस समय हवा में
ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त रहती है। ब्लड प्रेशर के रोगियों, बुजुर्गों, दमा रोगियों के अलावा सामान्य रूप से भी सर्दी के दिनों में शाम को 4:30 बजे के बाद घूमना चाहिए। घर में सवेरे उठकर योगा, प्राणायाम और हल्का व्यायाम करना चाहिए। खुली छत पर जाकर कम से कम 30 मिनट धूप में भी बैठना जरूरी रहता है। इसकेअलावा सप्ताह में एक बार 100 मीटर तक तेज दौड़ने से हृदय मजबूत होता है। लेकिन तेज उन्हें दौड़ना चाहिए जो पूरी तरह स्वस्थ हों। किसी lप्रकार की बीमारी या हार्ट प्रॉब्लम हो तो दौड़ने से बचें।
इस प्रकार सर्दियों में अच्छी जीवनचर्या अपनाकर आप मजबूत स्वास्थ्य और शांति पा सकते हैं।