एक्सपोज़ टुडे, इंदौर।
इन जरूरी बातें पूरे देश के महत्व की हैं उन पर सारे जनजाति समाज को ध्यान देना आवश्यक है। हम सभी लोग इसी धरती माता के पुत्र हैं, यही हमारी मां है। हमारे समाज को इस भारतमाता की जयकार इतनी जोर से करनी है कि सारा संसार अच्छे से सुन ले। जो दुष्ट षड्यंत्रकारी हमारे जनजाति समाज को अपनी भारतमाता से दूर करना चाहते हैं, उनकी साजिशों से हमें सावधान रहने की जरूरत है। जनजाति समाज के वीरों का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी आता है। रामायण में तो वनवासियों को मान देते हुए एक कांड का नाम ही अरण्यकांड रखा गया है। उक्त विचार इंदौर के चिमनबाग मैदान में आयोजित विशाल जनजाति संगम में प्रमुख वक्ता श्री कैलाशजी अमलियार ने प्रकट किए। उन्होंने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि हमारी सारी परंपराएं भी वैज्ञानिक महत्व की रही हैं। जब-जब भारतमाता को जरूरत पड़ी, जनजाति समाज के वीरों ने अपना सब कुछ दांव पर लगाया है। भारतवर्ष पिछले एक हजार वर्षों से विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर रहा है। इस दौरान देश के सारे हिंदू समाज के साथ ही हमारे जनजातीय समाज की संस्कृति और परंपराओं को भी चोट पहुंची है। जो डर गए वे भटककर अपनी मूल हिंदुस्थानी संस्कृति से दूर हो गए। परंतु हमारा स्पष्ट मत है जो कोई भी हिंदुस्थान की इस पवित्र भूमि को अपनी मां मानेगा, उसे ही इस धरती पर रहने का हक है। जो कोई भारतमाता की जय बोलेगा, जो कोई वंदेमातरम् बोलेगा, केवल वही हमारा है। हिंदुस्थान अब रुकने वाला नहीं है और हमारा जनजाति समाज भी अब रुकने वाला नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने के उपलक्ष्य में इंदौर के चिमनबाग मैदान में विशाल जनजाति संगम आयोजित किया गया, जिसमें इंदौर जिले तथा आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत बड़ी संख्या में जनजाति समाज के बंधु अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सपरिवार अपने स्वयं के साधन द्वारा उत्साह पूर्वक पधारे। पूरे कार्यक्रम का स्वरूप एक उत्सव जैसा प्रतीत हो रहा था। जनजाति समाज के साथ ही अन्य हिंदू समाज भी बड़ी संख्या में जनजाति नायकों का स्मरण करने, जनजाति समाज की परंपराओं के दर्शन करने के लिए उपस्थित तथा सहभागी रहा। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण काका बाबा ना पोरिया फेम आनंदीलाल भावेल रहे, जिन्होंने पारंपरिक गीतों पर उपस्थित विशाल जनसमूह को थिरकने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में अन्य जनजाति कलाकारों ने भी गोंडी, भगोरिया, करमा नृत्य इत्यादि की अद्भुत प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम के मंच पर प्रमुख वक्ताओं मालवाप्रांत जनजाति प्रमुख श्री कैलाशजी अमलियार, श्रीमती अनिताजी ठाकुर और वनवासी कल्याण परिषद अध्यक्ष प्रो मदनसिंहजी वास्केल के साथ ही जनजाति विकास मंच के अध्यक्ष श्री गोविंदजी भूरिया, संत समाज से श्री हीरानंदजी ब्रह्मचारी बाबा, बारेला समाज से श्री कीरसिंहजी महाराज, भिलाला समाज से श्री विजयसिंहजी सोलंकी, भील समाज से श्री शंकरलालजी कटारिया, गोंडवाना विकास परिषद से श्री महेंद्रजी परते, उरांव समाज से श्री बिरदजी उरांव के अलावा श्री अजमेरसिंह भाभर, श्री भाईरामजी भास्कर, श्री राधेश्यामजी घोरमड़े, श्री ओमप्रकाशजी बलकर आदि अतिथि उपस्थित थे। मंच संचालन डॉ. रेखा नागर और श्री पुंजालाल निनामा ने किया। अतिथि परिचय श्री राधेश्याम जामले और स्वागत भाषण श्री विक्रमसिंह मर्सकोला ने दिया।