खरगोन। लोगों की मान्यता है कि जहां विज्ञान का सिद्धांत नहीं चलता वहां पर आस्था काम कर जाती है। ऐसी ही आस्था देखने को मिलती है गोगानवमी को लगने वाले यहाँ के अनूठे संतान मेले में। जहां दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु संतान की चाह में पहुँचते हैं।
जिला मुख्यालय खरगोन से करीब 10 किलोमीटर दूर नागझिरी गांव में हर साल गोगा नवमी को संत बोंदरू बाबा की समाधि स्थल पर संतान मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में निःसंतान महिलाएं संतान की चाह में पहुंचती हैं। इस बार भी मेले में संतान चाहने वाले दम्पत्ति मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात सहित अन्य प्रदेशों और बांग्लादेश से भी पहुंचें। जहां समाधि स्थल के पुजारी ने प्रसाद के रूप में उन्हें कच्चे आम का प्रसाद खिलाया गया।
इस मौसम में कच्चे आम कहीं नहीं मिलते, लेकिन बडी संख्या में श्रद्धालु कच्चे आम समाधि स्थल पर लेकर पहुंचतें है। जिसे निःसंतान महिलाओं को प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है।संतान प्राप्ति के बाद बडी संख्या में लोग बच्चों के साथ भी समाधि स्थल पर पहुंचतें हैं। जहां उनका विभिन्न वस्तुओं से तुलादान कर मन्नत उतारी जाती है। खरगोन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक रवि जोशी ने भी यहाँ पहुँचकर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बाबा की महिमा का गुणगान किया।
महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि हम यहां पर प्रसाद लेने आए हैं। जहां विज्ञान काम करना बंद कर देता वहां आस्था काम कर जाती है। इसीलिए यहां बडी संख्या में महिलाएं संतान की चाह में पहुंचती हैं।
मेले में पहुंचे लोगों का कहना हैं कि लोगों की इस समाधि स्थल पर अटूट श्रद्धा है। इसी के चलते यहां दूर दूर से लोग संतान की चाह में पहुंचते हैं।मंदिर समिति से जुडे ग्रामीण लखन चैधरी का कहना है कि संत बोंदरू बाबा का जन्म सन् 1765 में हुआ था और 1790 को आज के ही दिन गोगा नवमी पर बाबा ने समाधि ली थी। तब से ही देश-प्रदेश और बांग्लादेश तक से भी श्रद्धालु संतान पहुंचते हैं। इस सीजन में कच्चे आम मिलना मुश्किल होता है लेकिन बाबा के प्रताप के कारण ही यहां कच्चे आम आसानी से मिल जाते है। जिन्हें निःसंतान महिलाओं को प्रसाद के रूप में खिलाकर गोद भराई की जाती है।