नरसिंहपुर। जिस तरह दशहरे के अवसर पर पूरे देश में रावण का दहन कर उसका वध किया जाता है। उसी तरह नरसिंहपुर जिले के मुड़िया गांव में पिछले 200 सालों से कंस वध की परम्परा चली आ रही है। कंस का वध बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। शुक्रवार को गाँव में इस परम्परा का निर्वाहन किया गया।
इस परम्परा को निभाने के लिए गाँव के लोगों ने अपने खेतों और घरों से मिट्टी लाकर गाँव के बाहर कंस की मूर्ती बनाई और उसके मुकुट पर सफ़ेद फूल जिसे कलगी कहते है को लगाया जाता है। कृष्ण को आकर इस कलगी को मुकुट से निकालना होता है। इसे निकालने से कंस का सांकेतिक वध माना जाता है।
पूरी तैयारी के बाद गाँव के बच्चे दो हिस्सों में बंट गए। एक तरफ कृष्ण की सेना तो दूसरी तरफ कंस की सेना। फिर दोनों सेनाओं के बीच सांकेतिक युद्ध हुआ। देसी अंदाज में पूरे युद्ध की लाइव कामेंट्री भी की गई। लगभग चार से पांच घंटे तक युद्ध चलता रहा। इस दौरान बांस के लंबे टुकड़े से एक दूसरे पर सांकेतिक रूप से वार करते रहे। अंत में कृष्ण ने कंस की मुकुट पर से कान्स की कलगी को उखाड़ लिया और युद्ध में कृष्ण की जीत हुई। इसी के साथ गाँव वालों ने जश्न मनाना भी शुरू कर दिया।
ग्रामीणों के अनुसार 200 साल पहले गाँव में महामारी फैली थी। इस दौरान एक ग्रामीण के सपने में भगवान कृष्ण ने आकार कहा था कि गांव के प्रत्येक घर से कच्ची मिट्टी लाकर कंस का वध करें। ऐसा करने से तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएँगे। तभी से ये परम्परा चली आ रही हैं।