September 23, 2024

क्या है आध्यात्मिक प्रगति?

डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में सीनियर मैनेजर  कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं।

एक्सपोज़ टुडे।

आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए हमारे पास बहुत से तरीके, लक्ष्य और विचार हो सकते हैं आपके अनुसार आध्यात्म क्या है? संतुष्टि? चेतना? स्थिरता? प्रसन्नता? मोह-माया से परे जीवन? मेरे अनुसार अध्यात्म वास्तविक दुनिया कोसमझ पाने की क्षमता है शायद पूरी तरह संभव न हो लेकिन कम से कम उतना जितना हम मानवीय रूप से देख सकें समझ सकें महसूस कर सकें हमारी पहले से निर्मित धारणाओं को छोड़ कर अनासक्त हो सकें खुले मन-मस्तिष्क से वास्तविकता को स्वीकार सकें इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपने भ्रमों से परे जी सकें इससे मेरा तात्पर्य त्याग नहीं है यह एक बार में संभव भी नहीं है किन्तु यह एक-एक कदम से आगे बढ़ने की प्रक्रिया है

क्या हम समझ सकते हैं कि हम वाकई आध्यात्मिक हो रहे हैं या नहीं? हाल ही में मैंने एक शोध पढ़ा जिसमें बताया गया था कि आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए आपको स्थिरताप्राप्त करनी होगी, अहंकार का त्याग करना होगा, सीखने की क्षमता विकसित करनी होगी और स्वयं पर विश्वास करना होगा

सबसे पहले ज़रूरी है कि हम हमारी त्वरित प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करना सीखें प्रतिक्रियाशीलता पूर्व निर्धारित विचारोंभावनाओं और संवेदनाओं के साथ तुरंत प्रतिक्रिया देना अहंकार की प्रकृति है। मेरे अनुसार तो हम हर समय प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन हम हमारे अंतर्मन की प्रतिक्रिया से सहमत नहीं होने और प्रतिक्रिया करने का विकल्प चुन सकते हैं। निस्संदेह, हमारी अधिकांश भावनात्मक और शारीरिक प्रतिक्रियाएँ हममें गहराई तक समाई हुई हैं इसलिए यह कठिन हो सकता है, किन्तु हम हर बार विनम्रता से शुरुआत करने का प्रयास कर सकते हैंइसके लिए जागरूकता आवश्यक है

इसी प्रकार, हो सकता है कि हम आंतरिक रूप से प्रतिक्रिया को महसूस करने के बावजूद अलग तरह से कार्य करें हम चाहते हैं कि हम सुबह दौड़ पर जाएं किन्तु हम सुबह की नींद नहीं त्याग पाते हम शायद किसी को उसकी गलती बतानाचाहें, किन्तु हम अपना पक्ष रखने का साहस नहीं जुटा पातेप्रतिक्रिया अभी हैलेकिन अब हम सचेत रूप से दूसरी प्रतिक्रिया चुन रहे हैं। अतः सही विकल्प चुनने के लिए ईमानदारी प्रमुख है। जितना हम खुलापन अपनाएंगे, उतना हम अधिक शिक्षण योग्य होने और अधिक संभावना देखने कीअंतर्निहित क्षमता प्राप्त कर सकेंगे और साहसी बन सकेंगे। 

एक ओर जहाँ आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते समय हमारा अहम् हमें प्रभावित करता है, वहीं कुछ समय बाद, हम समझ पाते हैं कि हम कितने अनभिज्ञ है जैसे-जैसे हम इस मार्ग पर आगे बढ़ते हैं, हम समझते हैं कि किस क्षण, किस स्थिति में हमारा अहंकार सत्य का विरोध करता है और हम इसे नियंत्रित कर पाते हैं यही हमें सीखने के योग्य बनाता है

यह सत्य है कि सार्थक कर्म और निर्णय लेने के लिए हमें स्वयं को चुनौती देनी होगी उन निर्णयों पर ध्यान देना होगा जो वास्तव में मायने रखती हैं और उनपर भी, जिनका हम विरोध करना चाहते हैं हालांकि बहुत से विचार होना, बहुत सी जानकारी होना, हर क्षण अत्यधिक प्रसन्न रहने का प्रयास करना या स्वयं की भावनाओं को दबाना आध्यात्मिक विकल्प नहीं हैं यह प्रगति हमारे नियंत्रण में है हम अहंकार छोड़ कर वास्तविकता को अपनाना सीख रहे हैं और स्पष्टता से, सचेतन से सही मार्ग चुन सकें  यही आध्यात्मिक प्रगति होगी

Written by XT Correspondent