June 16, 2025

सरकारी अफ़सर नौकरी में रिटायर हो जाए, ऐसा होता है जैसे बिजली का तार तो है पर करंट ग़ायब हो चुका है ।

लेखक डॉ आनंद शर्मा सीनियर आईएएस हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी रहे हैं।
रविवारीय गपशप
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              सरकारी अफ़सर नौकरी में रहे या रिटायर हो जाए दोनों ही परिस्थिति में बड़ा अंतर आ जाता है , ऐसे ही जैसे बिजली का तार तो है पर करंट  ग़ायब हो चुका है । भोपाल में सुबह का समय मेरे लिए हमेशा बहुमूल्य रहा है , क्योंकि अरेरा क्लब में ये वक्त टेनिस के लिए समर्पित रहा करता था । हमारे टेनिस खिलाड़ियों के ग्रुप में अधिकांश सज्जन रिटायर हैं , बेशक उनमें से कई आई.ए.एस. या आई.पी.एस. भी हैं । बात तब की है जब मैं प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री का ओ.एस.डी. हुआ करता था और वक्त निकलने पर टेनिस खेलने जाना नहीं भूलता था । ऐसे ही एक दिन खेल के बाद एक सीनियर खिलाड़ी ने मुझसे कहा कि उनका गन लाइसेंस नवीनीकरण के लिए बड़े दिनों से लंबित है , क्या आप सिफारिश कर सकते हैं ? मैं जानता था कि वे हमारे ग्रुप के एक अत्यंत वरिष्ठ किंतु रिटायर आई.ए.एस. अधिकारी के अच्छे मित्र थे तो मैंने सहज भाव में कहा कि आपने उनसे क्यों नहीं कहा ? वे बोले अरे उनसे फ़ोन कराकर ही मैं ए.डी.एम. के पास गया था , पर पहले तो उन्होंने प्रतीक्षा करवाई और जब मैं मिला तो कहने लगे अब तो आप रिटायर हो आपको गन की क्या जरूरत ? मुझे थोड़ा अचरज हुआ , फिर मैंने उनसे डिटेल्स लिए और कलेक्टर को फ़ोन पर उनकी सिफारिश कर दी और कुछ दिनों में ही उनका लाइसेंस नवीनीकृत हो गया ।
              अपने सेवाकाल में जब मैं उज्जैन में कमिश्नर था कोरोना की भयावह बीमारी का समय आया । प्रारंभिक समय में जब लॉकडाउन लगा तो आवश्यक यात्रा के परमिट कलेक्टर जारी करते थे । एक दिन मैं दौरे पर था तो मेरे एक पूर्व कमिश्नर का , जो रिटायरमेंट के बाद दिल्ली बस गए थे , मोबाइल पर फोन आया और उन्होंने कहा कि उनका कोई परिचित रतलाम में लॉकडाउन के कारण फंस गया है और उन्हें दिल्ली आवश्यक रूप से पहुंचना है पर परमिट जारी नहीं हो पा रहा है । मैंने कहा आपने कलेक्टर को नहीं बताया क्या ? वे बोले , बोला तो था पर तीन दिन हो गए हैं अभी तक कुछ नहीं हुआ है । मैंने आश्वस्त किया कि मेरा आज वहीं का दौरा है , आप निश्चिंत रहें । रतलाम पहुंचते ही पहला काम मैंने यही किया की ए.डी.एम. साहिबा को बोल उन सज्जन के लिए ट्रांजिट परमिट की व्यवस्था कराई ।
          इसी संदर्भ में एक और घटना का स्मरण आ रहा है । मैं और मेरे एक साथी जो तब तक आई.ए.एस. से रिटायर हो चुके थे उज्जैन में कुंभ स्नान के लिए गए हुए थे । शाम को हमने सोचा कि सिंहस्थ क्षेत्र की भव्यता भी देखी जाए तो स्थानीय परिचित अधिकारी के साथ सिंहस्थ क्षेत्र देखने निकल पड़े । शानदार व्यवस्था थी एक नया जैसा शहर भरपूर चकाचक रौशनी , एक से एक बढ़कर भव्य पंडाल , बड़े बड़े अन्न क्षेत्र , विशाल प्रवचन केंद्र । घूमते घूमते हम एक भव्य पंडाल के समीप पहुंचे जहाँ एक महामंडलेश्वर का डेरा था । पता किया कि वे हैं या नहीं ? बताया गया अभी नहीं हैं । हम वापस जाने लगे तो सेवकों की भीड़ में से किसी ने मुझे पहचान लिया । उज्जैन में पुरानी पोस्टिंग के कारण लोग पहचानते तो थे ही , हमें साथ लेकर उस पंडाल में ले गए जहाँ वे भक्तों से मिलने वाले थे । मेरे साथ चल रहे वरिष्ठ साथी ने कहा अरे हम तो इनसे दीक्षा ले चुके हैं और हम उनके खास शिष्य ही हैं । मैंने सोचा इससे अच्छा क्या हो सकता है । हम पीछे के रास्ते पंडाल तक पहुँच गए , वहाँ पूर्व से ही हम जैसे बीस पच्चीस दर्शनार्थी आदमी महात्मा जी के कक्ष से निकलने का इंतिजार कर रहे थे , हम सब भी उनके साथ लाइन में खड़े हो गए । थोड़ी ही देर में महात्मा जी अपने कक्ष से निकल कर आये और सभी से एक एक कर मिलने लगे , हमारे पास भी आये तो मेरे साथी ने उन्हें प्रणाम किया । वे मुस्कुराए , बोले आजकल कहाँ हो ? साथी ने कहा , अब तो मैं रिटायर हो गया हूँ , उन्होंने कहा अच्छा आप रिटायर हो गए हो , और आगे बढ़ के मेरे पास आये । मैंने भी श्रद्धा पूर्वक प्रणाम किया , साथी ने मेरा परिचय दिया तो मुझसे पूछा आप कहाँ हो ? मैंने कहा अभी तो मैं शासन में अपर सचिव हूँ । उसके बाद वे मेरे पास ही रुके रहे और कुछ सामान्य सी चर्चाएं करते रहे पर क्या जाने क्या संयोग था कि फिर वे हमारे रिटायर साथी की तरफ नहीं आये । थोड़ी देर बाद उनके जाने के साथ ही पंडाल खाली हो गया । उनकी एक शिष्य जो हम दोनों को जानती थी , हमारे पास आकर कुशल क्षेम पूछने लगीं । थोड़ी देर बाद वे मुझसे मुखातिब हुईं और कहने लगीं आप तो अभी नौकरी में हो ? मैंने कहा जी हाँ अभी तो हूँ । मेरे साथी मुझसे धीमे से कहने लगे , यार ये तो ऐसे पूछ रही थी की अभी तो आप जीवित हो ?
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Written by XT Correspondent