छिंदवाड़ा। जिद जब जूनून बन जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है। इस कहावत को चरितार्थ करके दिखाया छिंदवाड़ा के छोटे से गाँव झामटा में रहने वाली लक्ष्मी घागरे ने। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और अपने घर को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए लक्ष्मी ने सबसे पहले अपने घर से इसकी शुरुआत की। खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के कारण गंभीर बीमारियों के खतरों की भनक तो गाँव में सबको थी लेकिन कोई इसमें क्या करे। गाँव के किसान मुनाफे की होड़ और फसल को बचाने के लिए मजबूर थे तो खुद लक्ष्मी ने एक कदम बढ़ाया और देखते ही देखते उसके साथ गाँव की अन्य महिलाओं ने भी जैविक खेती शुरु की। अब यह इलाके में अभियान बन गया है। गाँव की 80 महिलाएँ इससे जुड़ चुकी है। महिलाएँ घर में ही पोषण वाटिका लगाकर अपने घर के लोगों को स्वस्थ रखने के लिए जैविक सब्जी खिला रही हैं।
लक्ष्मी ने लगभग तीन साल पहले कुछ करने की चाहत में बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया थे। लेकिन कागजी खानापूर्ति के चलते नहीं हो पाया। किसी ने लक्ष्मी को बताया कि जैविक खेती के लिए लोन लेना आसान होता है। इसके बाद लक्ष्मी ने लोन लेकर जैविक खेती करना शुरू की। धीरे-धीरे अन्य महिलाओं को अपने साथ जोड़कर स्व सहायता समूह बनाया और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए जैविक खेती के फायदे बताए. आज पूरे गांव में करीब 80 महिलाओं के घरों में पोषण वाटिका है। इससे महिलाओं को आय भी होती है और लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इन महिलाओं का समूह दूध, सब्जी और अनाज ही नहीं बनाता बल्कि जैविक खाद से लेकर जैविक कीटनाशक भी बनाकर बाज़ार में बेचता हैं।
पोषण वाटिका लगाकर लोगों को जैविक खेती के फायदे और स्वसहायता समूह से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की इनकी मुहिम की अधिकारी भी तारीफ कर रहे हैं कि हर घर में लक्ष्मी जैसी महिलाएँ हों तो देश कैमिकल मुक्त हो जाएगा।
लक्ष्मी घागरे और उनकी महिला साथियों ने जैविक पोषण वाटिका लगाकर घर को रोग मुक्त करने का संकल्प तो लिया ही साथ ही महिलाओं ने आत्मनिर्भर होकर लोगों को अलग राह दिखाई है।