बड़वानी। एक गांव ऐसा भी है,जहां शव यात्रा को रोककर इंतज़ार करना पड़ता है।दरअसल यहाँ का श्मशान नदी के उस पार होने से शवयात्रा को भी बहती नदी के बीच से गुजरना पड़ता है। अगर नदी में पानी ज्यादा है तो फिर पानी उतरने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।
इतना ही नहीं शवयात्रा में शामिल रिश्तेदार कई बार नदी पार करते समय फिसल भी जाते हैं। कई लोग बहते-बहते भी बचे हैं। बावजूद इसके लोगों को मजबूरी में नदी पार करना पड़ती हैं।ये तस्वीरें बड़वानी जिले के बलवाड़ी की है।
यहां शमशान घाट जाने के पारंपरिक रास्ते पर अरुणावती नदी बहती है। नदी पर श्मशान घाट जाने के लिए पुल भी बना है। लेकिन हर बारिश में पुल का एप्रोच रोड नदी के दोनों छोर से बह जाता है। इसके कारण लोगों को 2 फीट की बनी दीवार से होकर गुजरना पड़ता हैं।
जिन लोगों के कंधे पर अर्थी होती है, उन्हें नदी से ही गुज़रना पड़ता है। इसके लिए गांव वाले एक चेन बनाते हैं और कंधे से कंधा बदलकर अर्थी को नदी पार ले जाते हैं। कई बार पानी ज्यादा आने पर लोग यहां घंटों इंतजार करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार कई बार यहां हादसा भी हो चुका है और अर्थी भी बह चुकी है। लोगों ने इसकी शिकायत प्रशासन से की हैं, लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है।
क्षेत्रीय विधायक ग्यारसी लाल रावत का कहना है कि कि पीडब्ल्यूडी विभाग से हमने पुलिया की स्वीकृति ले ली है। विधायक मानते है कि ये लोगों के लिए समस्या है। लेकिन इसका दोष वे पिछली सरकार को देते हैं।