एक्सपोज़ टुडे, भोपाल।
मध्य प्रदेश विधानसभा उप चुनाव में सामने नज़र आ रही हार से बीजेपी बौखला गई है । पैसों के दम पर खुलेआम विधायकों की ख़रीद फ़रोख़्त शुरू कर दी गई है ।
प्रदेश में विधानसभा उप चुनाव में 28 सीटों पर 3 नंवबर को वोटिंग होना है । कांग्रेस के बढ़ते जनाधार को देखते हुए बीजेपी ने हार होती देख पैंतरे बाज़ी शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में विधायकों की खुलेआम ख़रीद फ़रोख़्त शुरू कर दी है । यह लोकतंत्र के लिए घातक है। ताज़ा मामला दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी का है । लोधी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है । चुनाव के वक़्त लोधी द्वारा बड़ा आर्थिक हित देखते हुए बीजेपी के दबाव में यह कदम उठाया गया है । यह वही लोधी हैं जिन्हें भारी विरोध के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव का टिकट दिलवाया था । राहुल ने न बिकने की सार्वजनिक रूप से क़समें खाई थी । मीडिया के सामने कहा था बिक गए तो आने वाली पीढ़ियों को क्या जवाब देंगे । वहीं राहुल सिंह चंद रूपयों के लिए शिवराज के कदमों में गिर गए ।
जनादेश का अपमान जोड़ तोड़ शुरू
बीजेपी यह मान चुकी है की जनादेश नहीं मिल रहा है और बुरी तरह हार हो रही है। इसलिए बीच चुनाव में जोड़-तोड़ करके विधायकों के इस्तीफ़े करा कर भाजपा में शामिल कराने मजबूरी क्यों रही। साफ़ है कि तमाम रिपोर्ट और जनता के आक्रोश ने भाजपा को ये समझा दिया है कि सरकार बचा पाना बेहद मुश्किल है। इसलिए चुनाव के बजाय वो बिना चुनाव के ही बहुमत की जुगाड़ में है।
शिवराज और महाराज भरोसे का संकट
शिवराज गद्दार और बिकाऊ से परेशान है। इसी तरह वे तमाम सभाओं ये कह रहे हैं कि प्रत्याशियों को मत देखो मेरी तरफ देखो। यानी वे मान चुके हैं कि एक भी प्रत्याशी जीतने काबिल नहीं है। शिवराज को सिंधिया समर्थकों पर भरोसा नहीं और सिंधिया को शिवराज के चेहरे पर एतबार नहीं । तभी तो सिंधिया सभाओं में खुलेआम कह रहे हैं कि ये चुनाव भाजपा या शिवराज का नहीं महाराज का है। इसका मतलब साफ़ है कि सिंधिया जान चुके हैं कि शिवराज के चेहरे पर लोगों का भरोसा नहीं है। दूसरी तरफ शिवराज सिंधिया के प्रत्याशियों जीतने लायक मान ही नहीं रहे। बीजेपी की हार तय है। निर्लज्जता की सारी सीमाएँ पार कर बीजेपी किसी भी तरह से सरकार बनाना चाहती है ।