कटनी। कहते है अगर इरादे मजबूत हो तो हालत भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया कटनी जिले के बरही नगर के रहने वाले रंगकर्मी दुर्गेश सोनी ने। उन्होंने नाट्य कला को जीवित रखने के लिए घरेलू संसाधनों की मदद से अपने घर में ही मिनी ऑडिटोरियम बना डाला।
चालीस-पचास वर्ग फुट में बाँस बल्ली, पुराने कपड़ों, पुराने रजाई-गद्दों की मदद से बनाये गए इस ऑडिटोरियम में लाइट, कैमरा, एक्शन सब कुछ है। रंगकर्मी दुर्गेश सोनी ने ऑडिटोरियम का नाम अपनी दादी केसरबाई के नाम पर रखा है। जिस दादी की याद में ऑडिटोरियम का नाम दिया गया है। शायद उसी दादी की पुरानी पेटियों को सोफे की शक्ल में करीने से सजा दिया है। यहां 20-25 दर्शक बैठकर आराम से नाटकों का आनंद ले सकते हैं।
दुर्गेश ने दादी की साड़ियों को पर्दे के रूप में इस्तेमाल किया गया है। मुंशी प्रेमचंद के मशहूर नाटक “बड़े भाई साहब” का मंचन सोमवार को दो शिफ्ट में इसी छोटे से आडिटोरियम में किया गया। चालीस मिनट के नाटक को उस “होम मेड” रंगमंच में जिसने भी देखा वाह!! वाह!! कहने से खुद को रोक नही पाया।
एक ओर जहाँ चकाचौंध और बेशुमार दौलत उड़ेलकर दर्शकों को घटिया तथा अश्लील साहित्य परोसा जा रहा हैं। वहीं इस छोटे से कस्बे के एक छोटे से घर के एक अत्यंत छोटे और सुविधाहीन रंगमंच में इतना स्तरीय मंचन काबिले तारीफ है। नाटक बड़े भाईसाब के निर्देशक दुर्गेश सोनी, लाइट एवं साउंड व्यवस्थापक प्यारेलाल और नाटक के दोनो उत्कृष्ट कलाकार विनय साहू एवं शानू वंशकार की कला की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी।