बैतूल। एक युवा शिल्पी ने अपने हुनर का इस कदर प्रदर्शन किया कि गुमनाम हो चुकी शिल्प कला को नया आयाम दे दिया। जिस शिल्प कला को जिले में कोई पूछने वाला नहीं था आज वह शिल्प कला देश ही नहीं बल्कि विदेश में पहचानी जा रही है। इस युवा शिल्पी की बांस की बनाई हुई दो बैलगाड़ी जल्द ही अमेरिका जाने वाली है।
बांस की शिल्प कला में निपुण प्रमोद बारंगे बैतूल से 15 किलोमीटर दूर खेड़ी गांव के रहने वाले है। प्रमोद बांस की किमचियो से मनमोहक बैलगाड़ी, कप, नाईट लैंप और घरेलू साज सज्जा की सामग्री बनाते है। उनकी यह कला लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। वे बांस की किमचियो से बारीक से बारीक शिल्पकला की सामग्री बनाते है। उनका हुनर देख लोग हैरान रह जाते हैं।
प्रमोद बारंगे बताते है कि यह उनका पुशतैनी काम है। दादा, पापा भी यही किया करते थे। उनके बड़े बूढ़े बांस की किमचियो से टोकनी, चटाई और झाड़ू बनाया करते थे। लेकिन बदलते समय के हिसाब से उन्होंने भी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आकर्षक साज-सज्जा की सामग्री बनाना शुरू किया।
आज उनकी बनाई हुई बैलगाड़ी, कप, नाईट लैंप देश बड़े शहरों खूब पसंद की जा रही है। बेंगलुरु, पुणे, कलकत्ता, दिल्ली सहित कई बड़े शहरों से उन्हें आर्डर मिल रहे हैं। दीवाली जैसे त्योहारी सीजन पर उन्हें अच्छे खासे आर्डर मिलने लगे है।