खंडवा। हमारे देश में कई ऐसे बच्चे हैं जो बड़े होकर कुछ बनना चाहते हैं लेकिन गरीबी के चलते उनके सपने पूरे नहीं हो पाते। मध्यप्रदेश पुलिस की एक महिला एसआई ने ऐसे ही बच्चों की मदद करने का बीड़ा उठाया। महिला एसआई गरीब बच्चियों को कॉम्पिटिटिव एग्जाम के लिए तैयार करती है। जिनके पास पीएससी की महंगी पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं है वह बच्चियां भी महिला एसआई के पास आकर आईएस-आईपीएस बनने का सपना देख रही है।
थाने में मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ कर बच्चियों के सपने को साकार करने में जुटी महिला एसआई का नाम है चांदनी सिंह। खंडवा के मोघट थाने में सब इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ चांदनी सिंह खुद एक आईपीएस अफसर बनना चाहती हैं। चांदनी ने पहले पुलिस को करीब से जानने के लिए एसआई की परीक्षा दे कर पुलिस फ़ोर्स ज्वाइन की।
जब खंडवा सीएसपी ने चांदनी को पुलिस की विशेष टीम निर्भया का जिम्मा सौंपा तो वह स्कूल और कॉलेज की छात्राओं के सम्पर्क में आई। चांदनी ने छात्राओं को पीएससी की तैयारी कराने का वादा किया। कुछ समय तक तो चांदनी ने पुलिस कंट्रोल रूम में छात्राओं को पीएससी की तैयारी करवाई लेकिन फिर उनका तबादला मोघट थाने में हो गया। एक बार तो काम का बोझ बढ़ने पर चांदनी ने पढ़ाई बंद करने का फैसला कर लिया था लेकिन छात्राओं के पढ़ने की लगन ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया।
चांदनी थाने में अपने काम के साथ-साथ गरीब बच्चियों को उनके सपने साकार करने के लिए स्टेडी करवाती हैं। छात्राओं को पढ़ाई करवाने के जज्बे के चलते कोतवाली टीआई बीएल मंडलोई ने सभी छात्राओं को कॉम्पिटिटिव एग्जाम की बुक दिलवा दी ताकि ये बच्चियां अपना सपना पूरा कर सके।
खंडवा सीएसपी ललित गठरे ने बताया कि उन्होंने भी पीएससी पास कर पुलिस फ़ोर्स जॉन किया हैं। वे अक्सर निर्भया के तहत स्कूल-कॉलेजों में जा कर बच्चों को मोटिवेट करते रहते हैं। उन्होंने ही एसआई चांदनी सिंह को मोटिवेट किया ताकि वे बच्चों को पढ़ा सकें।
सीएसपी गठरे ने बताया कि उन्होंने पहले पुलिस कंट्रोल रूम में एक कमरा बच्चों की पढाई के लिए खुलवा दिया। लेकिन एसआई चांदनी का तबादला मोघट थाने में होने से अब बच्चे भी वहीँ पढाई करने जाते हैं। श्री गठरे ने बताया कि वे खुद भी पीएससी की पढाई कर आए हैं। इसलिए जब भी समय मिलता हैं वे भी इन बच्चों को मार्गदर्शन देने जरूर जाते है।