सीहोर। जिला मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर देशभर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है। यहां भगवान गणेश की भू-प्रतिमा स्थापित है, जो देश में सिर्फ चार जगहों पर है। यहां साल भर लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण करवाया था। शालीवाहन शक, राजा भोज, कृष्ण राय तथा गौंड राजा नवल शाह आदि ने मंदिर की व्यवस्था में सहयोग किया। नानाजी पेशवा विठूर के समय मंदिर की ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई।
यहां श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अपनी मन्नत के लिए मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मन्नत पूर्ण होने के पश्चात सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दौरान दस दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं।
सीवन के कमल पुष्प से बने हैं चिंतामन
प्राचीन चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है। युति है कि सम्राट विक्रमादित्य सीवन नदी से कमल पुष्प के रूप में प्रकट हुए भगवान गणेश को रथ में लेकर जा रहे थे। सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया। रथ में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा। प्रतिमा जमीन में धंसने लगी। बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया। आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है।
प्रतिदिन रूप बदलेंगे
गणेशोत्सव में गणेश प्रतिदिन रूप बदलेंगे। भगवान का नित्य नया श्रृंगार किया जाएगा। यहां 10 दिन तक भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। मेले में इस वर्ष सागर व भोपाल आदि के बड़े झूले और दुकानें, मनोरंजक आकर्षक आइटम मेले की शोभा बढ़ाएंगे।