नरसिंहपुर। पहले लोग कतार में एक के पीछे एक खड़े होते हैं। पहले वाले व्यक्ति के हाथ में सूपा होता है जबकि आखिरी वाले के हाथ में झाडू। फिर यह सांप की तरह चलने लगते हैं। जिस किसी को सूपा छू जाता है, वह नाग की तरह रेंगने लगता है।
कुछ ऐसा नजारा था नरसिंहपुर के बरेटा में आयोजित किए गए नाग सेला पर्व का। यह परंपरा पिछले कई पीढ़ियों से चली आ रही है। इसमें लोग पंडा नाग का रूप धारण करके एक मानव श्रृंखला बनाते हैं। फिर यह नाग के रूप में चलने लगते हैं। नाग के फन के रूप में सबसे आगे खड़े व्यक्ति के हाथ में सूपा जबकि पूँछ के लिए आखिरी वाले के हाथ में झाडू दी जाती है।
इस दौरान जिस व्यक्ति को सूपा छू जाता है उसे नाग देवता की सवारी आ जाती है। वह जमीन पर गिर कर नाग की तरह रेंगने लगता है। माना जाता है कि जब नाग देवता अपने पूरे स्वरूप में होते हैं तब वहां मौजूद तांत्रिक उनके कानों में नाग मंत्रोच्चार करते हैं।
ग्रामीणों की मान्यता है कि नाग सेला पर्व को मनाने से गांव के किसी भी व्यक्ति को सांप से कोई हानि नहीं होती है। इस पर्व को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुँचते हैं। नाग सेला पर्व में तंत्र मंत्र के सहारे सांप के काटे का इलाज करने का दावा भी किया जाता है।
गाँव के बुर्जुगों की माने तो इस परम्परा से नाग देवता प्रसन्न रहते हैं और गांव में प्रवेश नहीं करते हैं। जिस व्यक्ति को नाग देवता की सवारी आती हैं वह नाग के काटे का आसानी से इलाज कर सकता है। जब व्यक्ति को नाग देवता की सवारी आती हैं उस समय उसे कुछ भी ख्याल नहीं रहता है। नाग सेला पर्व को हर साल सितम्बर माह के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।