बड़वानी। आदिवासी बाहुल्य जिले के एक ही स्कूल की तीन छात्राओं का चयन अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप के लिए लगने वाले कैंप में संभावित 50 बालिकाओं का चयन हुआ है। अपनी मेहनत और कोच व परिवार के सपोर्ट के चलते छात्राओं को यह सफलता मिली है। बहुत कम सुविधाओं के बीच बालिकाओं की इस उपलब्धि की हर तरफ चर्चा है।
आदिवासी बाहुल्य जिले बड़वानी में संसाधनों का अभाव है। खासकर खेल की सुविधा यहाँ बहुत कम है। बावजूद इसके जिले के छोटे गांव रहगुन की रहने वाली 13 वर्षीय मधुबाला अलावे और सेगांव की रहने वाली 15 वर्षीय हितेषी चौधरी का चयन अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप के लिए लगने वाले कैंप में संभावित 50 बालिकाओं में हुआ है। वहीँ इन्ही के स्कूल में पढ़ने वाली 14 वर्षीय वंदना यादव का भी चयन संभावित 50 में हुआ है। वंदना टीकमगढ़ की रहने वाली है।
चयनित छात्राओं का कहना है कि उनका सपना है कि वह भारतीय टीम के लिए खेले। छात्राएं रोजाना 4 से 5 घंटे तक ग्राउंड पर मेहनत करती है। उन्हें कोच और परिवार का पूरा सपोर्ट मिला है।
हितेषी चौधरी कहती है कि पिता स्पोर्ट्समैन थे और भाई भी फुटबॉल खेलता था। इसलिए फुटबॉल के प्रति रुझान बढ़ा। हमारे यहां लड़कियों के प्रति लोगों का नजरिया अलग है लेकिन परिजनों और कोचिंग स्टाफ के सहयोग के चलते यह उपलब्धि प्राप्त हुई है। वह भारतीय टीम के लिए खेल कर नाम रोशन करना चाहती है।
वहीँ मधुबाला अलावे का कहना है कि वह भारतीय टीम की कप्तान बनना चाहती है। इसके साथ ही वह अपने गांव में खेल एकेडमी खोलना चाहती है ताकि खेल प्रतिभाएं सामने आ सके।
इनके फुटबॉल कोच देवेंद्र जोशी ने बताया कि हमें किसी तरह की कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। स्थानीय लोगों की मदद और स्कूल के सहयोग से हम एकेडमी चला पा रहे हैं। बड़वानी से भी खेल प्रतिभाएं निकल रही है। सरकार को यहाँ पर फुटबॉल एकेडमी खोलना चाहिए ताकि और प्रतिभाएं सामने आ सके।