हरदा। बाढ़ से लोगों को जिंदा निकालने का दम भरने वाली सरकार एक विधवा मां कुसुम बाई के इकलौते बेटे की मौत पर सुरक्षित शवयात्रा भी उपलब्ध न करा सकी। हाल यह है कि अधिकारियों ने मदद की गुहार रहे ग्रामीणों के फ़ोन उठाना तक बंद कर दिए। ऐसे में गांव वालों ने खुद ही अपनी जान जोखिम में डालकर अंतिम संस्कार करवाया।
मामला हरदा जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पिडग़ांव का है। यहां समूह में खाना बना कर जीवन यापन करने वाली एक दलित विधवा मां कुसुम बाई के इकलौते पुत्र राहुल धार्मिक 22 वर्ष की रविवार शाम को बुखार के चलते तबियत बिगड़ने से मौत हो गई। तेज बारिश और जलभराव की स्थिति में युवक का अंतिम संस्कार करने के लिए गांव के पंच राजेश शर्मा ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई गई।
कलेक्टर साहब ने ग्रामीणों को नाव पहुंचाने का आश्वासन दिया। जब दोपहर 1 बजे तक मदद नहीं पहुंची तो ग्रामवासियों ने आपस मे चंदा इकट्ठा कर अपनी जान जोखिम में डालकर कमर तक पानी में से शव यात्रा निकाल कर मृतक का नेमावर में अंतिम संस्कार किया।
राजेश शर्मा ने बताया कि कलेक्टर से बात होने के बाद उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों से भी बात की थी। लेकिन कुछ समय बाद अधिकारियों ने फोन उठाना बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने बताया था जिला जेल में बाढ़ का पानी जमा होने से प्रशासन कैदियों की शिफ्टिंग में लगा हुआ और वहां एक ही नाव है। इसलिए इंतज़ार करे। जबकि गांव के कुछ लोग तैर कर जिला जेल में तीन बोट देख कर आये थे।