नरसिंहपुर। सरकारी दस्तावेजों में दर्ज गांव का एक ऐसा मकान जिस पर सरकारी योजनाओं के गुणगान भरी तख्ती तो चस्पा कर दी गई है। मगर बेबस और लाचार झोपडी में रहने वाले इस शख्स को आज तक सरकार की कोई भी योजना मुनासिफ नहीं हो सकी। जब झोपडी सुखियों में आई तो सरकारी अफसर से लगाकर नेता तक हर कोई मदद का भरोसा दिला रहा हैं।
मामला नरसिंहपुर जिले के खांघाट गांव का है। गांव के बीचों बीच बने इस झोपड़े में लखन लाल और उसकी पत्नी तुलसा बाई आदिम युग की तरह नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। इस झोपडी में न पीने के लिए की व्यवस्था है और न रोशनी के लिए बिजली। झोपडी की छत भी ऐसी नहीं है कि वह पानी रोक सके। पानी आने पर पन्नी के सहारे जैसे तैसे चारपाई को कवर कर दंपत्ति रहता है। ऊपर से सरकारी सिस्टम का इससे भद्दा मजाक क्या होगा कि इनकी मदद करने के बजाय झोपडी को ही घर का दर्जा देकर मकान नंबर भी आवंटित कर दिया।
लखनलाल अपनी बेबसी की दास्तान गांव के सरपंच से लेकर कलेक्ट्रेट की चौखट तक बयां कर चुके है, लेकिन अफसरशाही की अनदेखी के आगे उसके हौसले ने दम तोड़ दिया और उसने परिस्थितियों से समझौता कर इन्ही परिस्थितियों में जीना सीख लिया।
लखन लाल और उसकी पत्नी जंगल से लकड़ी बीनकर अपना गुजारा करते हैं। उसपर भी विसंगति ऐसी की जब पत्नी जंगल जाए तो पति घर पर रहे और पति काम पर निकले तो पत्नी को बिना दरवाजे की इस सरकारी मान्यता प्राप्त झोपडी की रखवाली करनी पड़ती है।
मामले में जब एडीएम से सवाल किया गया तो उन्होंने जांच की बात कह सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया, वहीँ क्षेत्र से चुनकर आए तेंदूखेड़ा विधायक कह रहे है कि पीड़ित को पीएम आवास के तहत लाभ और अन्य मदद दी जाएगी।