November 29, 2024

दम्पत्ति ने जोखिम उठाकर बचाई हिरण की जान

हरदा। खिरकिया टोल टेक्स के पास रोड़ किनारे की नहर में एक मादा हिरण बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था। पानी से लबालब भरी नहर में हिरण का बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है। आसपास जंगली कुत्तों ने उसे घेर रखा था। इस पर जब रोड़ से गुजर रहे सतीश विश्नोई की नजर पड़ी तो वे परिवार सहित उसे बचाने रुक गए। सतीश विश्नोई ने बिना कुछ सोंचे समझे नहर में छलांग लगा दी और बड़ी मशक्कत के बाद हिरण को पकड़ लिया। फिर पत्नि कविता विश्नोई की मदद से उसे नहर के बाहर निकाला। इस पूरे घटनाक्रम का वीडिया सतीश की 6 वर्षीय बिटिया देव्यांशी ने मोबाइल में बना लिया। सतीश मूलतः देवास जिले के मुरझाल के निवासी है। विगत 7 वर्षों से वे खिरकिया में ही रह रहे हैं। आज भी वे मुरझाल से खिरकिया लौट रहे थे तब ये घटनाक्रम हुआ।

हिरण के पैरों में चोंट के निशान देखकर उसका शासकीय अस्पताल में इलाज कराया। इस दौरान अखिल भारतीय विश्नोई युवा संगठन के खंडवा जिला संगठन मंत्री लोकेश बेनिवाल, सारंगपुर के रिषी विश्नोई और डॉ. सदासुख विश्नोई, चौकड़ी के कपिल विश्नोई, बरमलाय के शुभम विश्नोई व अन्य सामाजिक युवाओं का सहयोग मिला। वन विभाग की टीम ने भी मौके पर उपस्थित होकर मदद की। तत्पश्चात् देखरेख में प्राथमिक उपचार हेतु वन विभाग की रजामंदी से उसे खिरकिया निवासी लोकेश बेनिवाल के सुपुर्द किया।

मीडिया को यह जानकारी अखिल भारतीय विश्नोई युवा संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी ईश्वर विश्नोई ने दी।

इतनी बहादुरी दिखाकर हिरण की जान बचाने पर वन विभाग ने सभी का आभार व्यक्त किया। गौरतलब है कि विश्नोई समाज का पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीवों की सुरक्षा में अहम योगदान रहा है। दो दिन पहले ही समाज ने शहीद अमृतादेवी विश्नोई बलिदान दिवस मनाया था। अमृतादेवी के नेतृत्व में सन् 1730 में जोधपुर के खेजड़ली गाँव में पेड़ो की रक्षा हेतु 363 लोग शहीद हो गए थे।

Written by XT Correspondent