आगर-मालवा। जिन लोगो का सहारा छिन कर बेसहारा हो गए हो उनका सहारा बनने के लिये एक महिला ने अपनी नौकरी छोड़ दी। महिला ने अपने घर में वृद्धाश्रम खोला है जिसमें कई बेसहारा वृद्धजन रहते हैं। महिला राजेश खन्ना की फ़िल्म अवतार देखकर प्रेरित हुई।
वृद्धजनो की सेवा में जुटी महिला का नाम है मीना जयंत। मीना आगर-मालवा की रहने वाली है। मूल रूप से भिंड जिले के मेहगांव की निवासी मीना का बहुत पहले से सपना था कि वह जब लोगो की मदद करने के काबिल हो जाएगी तो वृद्धजनो की सेवा करेगी। राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म अवतार देखकर उन्हें इसकी प्रेरणा मिली।
मीना एक स्कूल में बतौर शिक्षिका कार्यरत थी। बुजुर्गों के खराब हालात देखकर उनके लिए कुछ करने का ख्याल उनके मन में पहले से ही था। जब उन्हें पता चला कि आगर-मालवा में कोई वृद्धाश्रम नहीं है तो वह अपनी नोकरी छोड़कर यहां चली आई और अपनाघर नाम से वृद्धाश्रम की शुरुआत की। उनके इस काम में उनके परिवार वालों ने भी भरपूर सहयोग किया।
पिछले दो सालों से मीना स्थानीय लोगों की मदद से बिना किसी सरकारी मदद के बुजुर्गों की सेवा में लगी हुई है। बुजुर्गों को सरकार से मिलने वाली पेंशन के लिए परेशानी न हो इसके लिए हर माह कियोस्क संचालक घनश्याम वृद्धाश्रम में ही पेंशन देने के लिए पहुँच जाते हैं।
वृद्धाश्रम में रहने वाले हर बुजुर्ग की अपनी दुख भरी कहानी है। वृद्धाश्रम में रहने वाले उज्जैन निवासी देवी प्रसाद मिश्रा का कोई पुत्र नहीं था तीन लड़कियां था। लड़कियों की शादी के बाद अपनी पत्नी के साथ जीवन बिता रहे थे लेकिन पत्नी के निधन के बाद देवी प्रसाद अकेले रह गए। चार सालों में कभी बडी बेटी तो कभी छोटी बेटी के साथ रहे। लेकिन बेटियों के घर पर रहना अच्छा नहीं तो लगा तो उनका घर भी छोड़ दिया। भटकते-भटकते देवी प्रसाद अपना घर पहुंचे। आज मीना उनकी बेटी जैसी और वृद्धाश्रम के अन्य बुजुर्ग उनके परिवार के जैसे हो गए हैं।
अपना घर की सदस्य गंगाबाई बताती है कि उनके दो बेटे हैं लेकिन वह उनकी देखभाल नहीं करते हैं। कई बार मारपीट तक करते हैं। इसलिए गंगाबाई अपने बेटों को छोड़कर अपना घर में रह रही है।
अपना घर में जितने बुजुर्ग रहते हैं उतनी ही दुख भरी कहानियां भी है। लेकिन आज यहाँ रहने वाले बुजुर्ग अपना अतीत भूलकर यहाँ हंसी ख़ुशी अपना जीवन यापन कर रहे हैं।