बड़वानी। सरदार सरोवर बाँध के बैक वाटर से प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे कर कोर्ट में समुचित विस्थापन की बात करती है लेकिन हक़ीक़त एकदम उलट है। पुर्नवास स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं का इतना अभाव हैं कि न तो लोग वहां बस पाए हैं और न ही कभी सरकार को इनकी सुध लेने की जरुरत महसूस हुई।
अवल्दा गांव का सर्वे हुआ था उस समय डूब प्रभावितों की संख्या 283 थी। सरकार ने इन लोगों के लिए 283 प्लॉट उपलब्ध जरुर करवाएं लेकिन सरकारी विभाग ने पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध नहीं करवाई। इस कारण कुछ ही प्लाटों पर घर बन पाए हैं। अभी अवल्दा ग्राम के पुर्नवास स्थल पर बसाहट पूर्ण नही हुई है, जब होगी तो परेशानियाँ और बढ़ेगीं।
पुनर्वास स्थल की स्कूल खंडहर होने की स्थिति में है। वहीँ अवल्दा के खेड़ापुरा स्थित प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल जाने के लिए भी बच्चों और शिक्षकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं। रास्ते में पड़ने वाले नाले में बैक वाटर का पानी होने से बच्चे स्कूल नही जा पा रहे हैं जबकि शिक्षकों को भी खेत में से होकर जाना पड़ता है। खेत में निकलने पर जानवरो का डर बना रहता है।
गांव वालो की मांगे जो प्रशासन द्वारा पूरी नही की गई है:-
- चरनोई की जमीन।
- होलिका दहन, रावण दहन हेतु स्थान।
- गांव चैपाल ।
- शमसान घाट।
- पानी के लिये प्रति गांव पृथक नर्मदा लाईन(वर्तमान में 3 गांव को एक पाईप लाईन से जोड़ा है)
- धार्मिक स्थलों के लिये कोई स्थान नही, 4 मंदिर पानी में डूब गये है, 5 शेष है।
- पुर्नवास स्थल अवल्दा पर मूल भूत सुविधाओ का भी अभाव।