खंडवा। ओंकारेश्वर बांध में बिना पुनर्वास लाई जा रही डूब के खिलाफ डूब प्रभावितों का जल सत्याग्रह छठे दिन भी जारी है। खण्डवा जिले के कामनखेड़ा गांव में डूब प्रभावित अपनी मांगों को लेकर कमर तक पानी में खड़े होकर जल सत्याग्रह कर रहे हैं। दूसरी तरफ बांध के जलस्तर में लगातार वृद्धि से डूब प्रभावित गांवों में जलस्तर बढ़ता जा रहा है। कामनखेड़ा के कई घरों में पानी घुस गया है।
बिना पुनर्वास डूबे घर
कामनखेड़ा गांव के रहने वाले नानकराम कन्हैया, मायाराम कन्हैया, दुर्गाराम खेमा सहित कई लोगों के घरों में पानी जमा हो गया है। इन परिवारों को आज तक घर-प्लाट नहीं दिये गये हैं। नानकराम का कहना है कि उसे अभी पुनर्वास स्थल पर प्लाट नहीं मिला है। बारिश के दौर में 12 दिन के पोते को लेकर कहा जाएं? अभी कई लोगों का पुनर्वास बाकी है।
सत्याग्रहियों के स्वास्थ्य हो रहा ख़राब
लगातार छह दिनों तक पानी में खड़े रहने से जल सत्याग्रहियों का स्वास्थ्य ख़राब होने लगा है। सत्याग्रहियों को शरीर में दर्द और खुजली सहित कई तरह की समस्या हो रही है। उनके शरीर की चमड़ी भी धीरे-धीरे गलने लगी है। सत्याग्रही भी अपनी मांगे मनवाने तक वहीँ डटे रहने पर अड़े हैं।
4 से 5 नवंबर तक भर जाएगा बांध
ओंकारेश्वर विद्युत परियोजना के लिये धीरे-धीरे भरकर जलस्तर 196.60 मीटर तक भरा जा रहा है। एनएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि बांध का जल स्तर 195.1 मीटर से ज्यादा तक पहुँच गया है। 4 से 5 नवंबर तक ओंकारेश्वर बांध का जल स्तर अपनी पूरी क्षमता 196.60 मीटर तक पहुँच जाएगा।
सत्याग्रहियों की मांगे
बांध का जलस्तर 196.60 मीटर तक पहुँच गया तो धाराजी क्षेत्र की 284 हेक्टेयर जमीन टापू में तब्दील हो जाएगी। विस्थापितों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पुनर्वास पूरा होने के बाद ही ओंकारेश्वर बांध में जल स्तर को बढ़ाया जाए, लेकिन बिना पुनर्वास बांध में लायी जा रही डूब पूर्णतः गैर कानूनी, असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण है। विस्थापितों की मांग है कि पानी का स्तर वापस पूर्व के स्तर 193 मीटर पर लाया जाए और विस्थापितों के सम्पूर्ण पुनर्वास के बाद ही बांध में पानी भरा जाये।