लेखिका डॉ. अनन्या मिश्र, आईआईएम इंदौर में मैनेजर – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
राष्ट्रमंडल खेलों का दौर चल रहा है और हाल ही में भारत के कई धुरंधरों ने अपनी जीत का परचम लहराया है। 28 जुलाई से 8 अगस्त तक, लगभग 200 भारतीय एथलीट बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 16 विभिन्न खेलों में पदक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। गोल्ड कोस्ट 2018 में भारतीय एथलीटों ने कुल 66 पदक, 26 स्वर्ण और 20 रजत और 20 कांस्य जीतेऔर मेजबान राष्ट्र ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद तीसरे स्थान पर भारत रहा। इस प्रकार के लोकप्रिय खेल मुख्यतः प्रतिस्पर्धा से ही सम्बद्ध रहे हैं, किन्तु मेरे अनुसार अपने सबसे मौलिक और शुद्ध रूप में, खेल – चाहे कोई भी हों, आध्यात्मिक हैं। ये हमें स्वयं से जागरूक कराते हैं और पारस्परिक चेतना के उच्च स्तर तक भी ले जाते हैं।
खेल और आध्यात्मिकता के विषय में कई साहित्य उपलब्ध हैं,असंख्य अध्ययनों में भी खिलाडियों ने अपने खेल की धार्मिक संबद्धता का वर्णन किया है। यह अनन्य अनुभूति है। खेल मनोवैज्ञानिक, मार्क नेस्टी के अनुसार, खेल में आध्यात्मिक अनुभव गहन प्रेम की भावनाओं के समान है। प्रेम, प्रसन्नता,करुणा, शक्ति, संतुलन और सम्मान – इन छह कारकों से ही खेल में सफलता प्राप्त होती है और इसी से खेल हमारी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता का दिव्य स्रोत है। एक शोध के अनुसार, जो एथलीट इन्हें समझते हैं वे इन अनिवार्यताओं का नियमित अभ्यास करते हैं। हम भी खेलों से सीख कर अपने जीवन में आध्यात्मिकता को आकर्षित कर सकते हैं।
इसकी शुरुआत स्थिरता के अभ्यास से कर सकते हैं। जब भी कोई खिलाड़ी या एथलीट अपनी ट्रैक पर अपनी जगह लेता है,तो वह अपनी स्थिरता सुनिश्चित करता है। सर्वप्रथम स्वयं पर ध्यान केन्द्रित करें – आपकी श्वास, हृदयगति और स्व। सुनें की आपका अंतर्मन और मस्तिष्क किस उद्देश्य की ओर आपको प्रेरित कर रहा है – फिर चाहे आप मात्र अपने किसी कार्य की योजना बना रहे हैं या ट्रैक पर हैं – और आत्मविश्वास बनाएं रखें कि आप अच्छी शुरुआत करेंगे। तद्पश्चात, अपनी विशेषता और सबसे बड़ी शक्ति का पता लगाएं। जिस समय आपको यह समझ आ जाएगा कि आप जो कार्य करने जा रहे हैं वही आपकी शक्ति भी है, तो आपकी आशंकाएं कम हो जाएंगी और आप ऊर्जावान महसूस करेंगे। खेलों में भी इस प्रकार खिलाडियों को कम शारीरिक बाधाएं महसूस होती हैं। मैरी बेकर एडी ने अपनी पुस्तक, “साइंस एंड हेल्थ विद की टू द स्क्रिप्चर्स” में, इस बारे में चर्चा की है। उन्होंने कहा है कि शास्त्रों में वर्णित है – “जो सर्वोच्च शक्ति के इंतेज़ार में हैं, वे दौड़ेंगे,और थकेंगे नहीं; और वे चलेंगे, और मूर्छित नहीं होंगे।” इसका अर्थ मात्र थकान से सम्बंधित नहीं है, क्योंकि यह अपितु नैतिक और भौतिक परिणामों में एक समान हैं।”
खेलों में प्रेम भी महत्वपूर्ण है – स्वयं से, अपने निर्णय से और उसके परिणामों से। प्यार को आपका नेतृत्व करने दें। ध्यान रहे कि आप लोगों को प्रभावित करने के लिए नहीं, बल्कि अच्छाई और स्नेह को प्रदर्शित करने के लिए प्रेम करते हैं। यह निष्पक्ष है और इसलिए, विपक्षी के लिए भी संवेदनशील बने रहें – फिर बात चाहे खेल के मैदान की हो या व्यक्तिगत जीवन में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने की। वर्तमान में जी कर आनंद लेना भी यहाँ महत्त्व रखता है। आपका आत्मविश्वास, स्वतंत्रता और सफलता पूरी तरह से आपके दिव्य अंतर्मन पर निर्भर करती है। धोखाधड़ी या खेल में फिक्सिंग के अल्पकालिक लाभ कभी भीखेल में ईमानदारी, साहस और अखंड स्वास्थ्य के कुशल प्रभावों का मुकाबला नहीं कर सकते।
यह भी सत्य है कि खेल आध्यात्मिक होने के साथ-साथ शारीरिक भी हैं, और ये एक एथलीट को व्यक्तिगत रूपान्तरण, सांप्रदायिक समझ के पुनरुद्धार और जीवन के उद्देश्य और संभावनाओं को समझने में मददगार सिद्ध होते हैं। इसका अनुभव कई एथलीटों ने भी किया है। उदाहरण के लिए,अमेरिकी सर्फर लेयर्ड जॉन हैमिलटन ने कहा है – ‘ध्यान रखें कि आपका सबसे बड़ा क्षत्रु कहीं आपके दो कानों के मध्य (मस्तिष्क) में न हो’ – अर्थात, अपने मस्तिष्क को स्थिर बनाए रखना, वर्तमान को आत्मसात करना और प्रत्येक क्षण सचेत रहना ही सफलता की कूंजी है। यह आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होने के लिए भी प्रेरित करता है। इसी प्रकार, कार्ल लेविस, अमेरिकी ट्रैक और फील्ड एथलीट के अनुसार अगर आपमें आत्मविश्वास न हो, तो आप निश्चित ही परास्त होने का कोई न कोई कारण खोज लेंगे। इससे तात्पर्य है कि स्व की क्षमताओं और काबिलियत पर भरोसा किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने का पहला कदम है।
खेल आध्यत्मिक रूप से हमें उच्च स्तरों तक पहुँचने में भी सहायक होते हैं। खेल खेलते समय जब एक खिलाड़ी वर्तमान में ‘प्रवाहित’ होने लगता है, तो वह एक अलग अनुभूति करता है – एक विशेष स्थिति में स्वयं को पाता है – जो आध्यात्मिक है।यह ध्यान के सामान है और अद्भुत है। यह एक ऐसा क्षण है जिसमें हम ‘सर्वस्व’ होते हैं और हमारे उच्च प्रदर्शन करने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं। हम ऐसी शक्ति से परिपूर्ण होते हैं जिसमें बहुत कठिन प्रयास किए बिना, सब कुछ स्वाभाविक और अनिवार्य रूप से परिपूर्ण लगता है। समय सामान्य से धीमी गति से चलता है – वास्तव में यही मुख्य कारण है कि कईखिलाड़ी अद्भुत प्रदर्शन करने में सक्षम हैं, क्योंकि उनके पास खेलने के लिए अधिक समय है, और अपने विरोधियों की रणनीतियों को समझने के लिए भी शक्ति है।
खेल में जिस प्रकार ध्यान आवश्यक है, वही ध्यान हमारी ‘चेतना-ऊर्जा‘ है। यह हमारे अस्तित्व की ऊर्जा, या जीवन शक्ति है। हमारे दैनिक जीवन में इस ऊर्जा का निरंतर बाहरी प्रवाह होता रहता है। इसका उपयोग हमारे मस्तिष्क में विचारों द्वारा होता है – जो असंख्य हैं। नतीजतन, हमारे अंदर आमतौर परयह ऊर्जा कम होती है। किन्तु जब हम ध्यान करते हैं तो हम‘ऊर्जा रिसाव‘ को नियंत्रित कर लेते हैं और आप पूर्ण मानसिक शांति और शांति का अनुभव करते हैं। चक्रों की अवधारणा के संदर्भ में, आपकी चेतना-ऊर्जा अब निचले चक्रों (जो वृत्ति, भावनाओं, इच्छाओं और मानसिक गतिविधि से जुड़े हैं) द्वारा प्रबंधित नहीं है; इसलिए यह सिर के मुकुट पर उच्चतम चक्र तक पहुँचने में सक्षम है – यह आध्यात्मिक अवस्था है।
इस प्रकार खेल एक प्रकार की सहज साधना हो सकती है । लेकिन निश्चित रूप से, भले ही हम आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करें, फिर भी खेल जैसी गतिविधियाँ हमारे लिए महत्वपूर्ण होनी चाहिए। खेल और अध्यात्म के बीच का संबंध हमें याद दिलाता है कि आध्यात्मिक शिक्षकों ने अक्सर कहा है,कि आधे घंटे के लिए सिर्फ ‘आध्यात्मिक‘ होने के बजाए जब हम ध्यान करते हैं, तब हमें कोशिश करनी चाहिए हमारे जीवन के हर पहलू में आध्यात्मिकता एकीकृत हो – क्योंकि इसी से हमें आध्यात्मिक सफलता मिलेगी।