लेखिका डॉ. अनन्या मिश्र,आईआईएम इंदौर में मैनेजर – कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन एवं मीडिया रिलेशन के पद पर हैं।
एक्सपोज़ टुडे।
हम जिनकी परवाह करते हैं, अक्सर उनका ध्यान रखने में इतना व्यस्त रहते हैं कि स्वयं का ख्याल रखना भूल जाते हैं। निश्चित रूप से, इससे कुछ समय बाद हम शारीरिक रूप से ही नहीं, भावनात्मक और मानसिक रूप से भी थकान महसूस करते हैं। शायद हम समझ न पाएं कि इसके पीछे क्या वजह है… क्योंकि हम वही कर रहे हैं जो हमें पसंद है, उनके लिए – जो हमारे लिए प्रिय हैं… फिर ये थकान, निराशा क्यों? हम शारीरिक रूप से तो पूर्णतः स्वस्थ हैं लेकिन फिर भी कहीं कुछ न कुछ ऐसा है जो व्याकुल कर रहा है। यही समय है जब हम पुनर्मूल्यांकन करें और आत्म-निरीक्षण कर समझें कि हम हमारी ऊर्जा और समय किस प्रकार व्यय कर रहे हैं।
इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है स्वयं के लिए सीमाएं निर्धारित करना। कभी-कभी, उन लोगों के साथ स्वस्थ सीमाएँ निर्धारित करना जिनकी आप परवाह करते हैं, स्वयं के साथ सीमा निर्धारित के समान है।आप यह नियंत्रित नहीं कर सकते कि अन्य लोग आपके इस निर्णय परकैसे प्रतिक्रिया देंगे, किन्तु यह जानकर आपको सुकून मिलेगा कि आप वही कर रहे हैं जो आपके लिए सबसे अच्छा है और आपने जो भी चुनाव किए हैं, वे किसी और को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। दूसरों की देखभाल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी देखभाल के साथ शुरुआत करें। यह पहली बार में स्वार्थी या अप्राकृतिक प्रतीत हो सकता है। हालांकि, समय के साथ, आप पाएंगे कि जब आप अपनी अच्छी देखभाल करते हैं तो आप दूसरों की पर्याप्त देखभाल करने में अधिक सक्षम होते हैं। जब आप खुश रहते हैं तो आप औरों को खुश रख सकते हैं। जब आप स्वस्थ रहते हैं तो अन्य सभी की देखभाल कर सकते हैं।
एक बार जब आप आत्म-देखभाल की कला में महारत हासिल कर लेते हैं, तो आप पाएंगे कि आपके पास अपने आसपास के लोगों की देखभाल करने के लिए अधिक समय और सकारात्मक ऊर्जा है। स्व-देखभाल की ओर अपनी यात्रा शुरू करने के लिए मैंने हाल ही में कुछ युक्तियाँ पढ़ीं।इनमें स्वयं की स्थिति की स्वीकृति, तनाव और समय प्रबंधन, निर्णय लेने की कला और सकारात्मकता आवश्यक चरण हैं।
मानव संपर्क की आदर्श मात्रा हम सभी के लिए भिन्न होती है। चाहे आप कितने भी अकेले रहना पसंद क्यों न करें, दूसरों के साथ समय बिताना मायने रखता है क्योंकि मानवीय संबंध खुशी, आनंद और अपनेपन को विकसित करता है। इससे आप अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे, और उन लोगों का समर्थन पाएँगे जो हमेशा आपको प्रोत्साहित करते हैं। वहीं, जब आप स्वयं के साथ समय व्यतीत करेंगे तो अपने आप को गहराई से समझ सकेंगे। आपको चिंतन करने, आत्म-निरीक्षण करने और स्व को समझने का समय मिलेगा। आप जान पाएंगे कि आपके जीवन में उद्देश्य क्या हैं,आप किस मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं और यही आपको अपने लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा।
तनाव प्रबंधन भी यहाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपने अगले कार्य को करने से पहले तनाव को दूर करने और अपनी ऊर्जा को बहाल करने के लिए दिन भर में लगातार ब्रेक लें। तनाव के लक्षणों का निरीक्षण स्वयं करें – शारीरिक थकावट, क्रोध आना, ध्यान की कमी होना, इत्यादि। जब आप अपने तनाव के स्तर को बढ़ते हुए देखते हैं, तो गहरी सांस लेने का अभ्यास करें या किसी अन्य विश्राम के तरीकों का उपयोग करें जो आपको पसंद हैं।। अपने और दूसरों के लिए क्षमा का अभ्यास करना भी एक शक्तिशाली तनाव-मुक्ति विधि है।
इसी प्रकार, जैसे हम निर्धारित दिन के लिए काम करने की सूची बनाते हैं, उसी प्रकार एक सूची ऐसी बनाएं जिसमें लिखा हो कि क्या नहीं करना है।विकर्षण और समय प्रबंधन कभी एक साथ नहीं जुड़ सकते। इस सूची से आप पहचान सकेंगे कि क्या आपको विचलित करता है और आप इन रुकावटों को विफल करने में सफल होंगे। समय प्रबंधन में लेखक और ख़ुशी-विशेषज्ञ ग्रेचेन रुबिन का एक-मिनट वाला नियम भी बहुत महत्वपूर्ण है। अर्थात, जिस भी काम को करने में आपको एक मिनट से कम का समय लग रहा है, उसे तुरंत कर दें। इससे न सिर्फ वह कार्य पूरा हो जाएगा बल्कि आपकी कामों की सूची में से एक कम भी हो जाएगा।
दिनभर में हम करीब 35,000 सचेत निर्णय लेते हैं। सोचिए, इस 1-मिनट नियम से कितने ही कार्य आसानी से पूरे हो जाएँगे और निर्णय लेने की ऊर्जा में भी बचत होगी। तब आप घंटों पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाए परिणामों को महत्व देंगे।
चूँकि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है, शारीरिक देखभाल भी आवश्यक है। यहाँ अल्ट्राडियन रिदम में सभी महत्वपूर्ण काम निपटाने की कला सफलता दिलाएगी। यह रिदम 120 मिनट का जैविक अंतराल है जिससे हमारा शरीर दिन भर गुजरता है। हम पहले 90 मिनट के दौरान सबसे अधिक उत्पादक होते हैं। इसके चरम पर होने के बाद, आपकी मानसिक ऊर्जा लगभग 30 मिनट के लिए कम हो जाती है। अपने शरीर की लय को जानकर, आप अपने दिन को अधिक प्रभावी ढंग से निर्धारित कर सकते हैं। ऊर्जा की सुस्ती के दौरान काम करने के विपरीत, आप तब काम करें जब आप सबसे अधिक उत्पादक होंगे। जब आपकी ऊर्जा कम हो जाए, तो कम महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करें या ब्रेक लें। 1980 में फ्रांसेस्को सिरिलो द्वारा बनाई गई पोमोरोडो तकनीक भी यहाँ काम आएगी, जिसका अर्थ है कि आप 25 मिनट के लिए काम करेंगे और फिर 5 मिनट का ब्रेक लेंगे।
आपकी आत्म-देखभाल की गुणवत्ता आपके समग्र कल्याण का एक बड़ा बैरोमीटर है। एक नियमित स्व-देखभाल अभ्यास यह भी दर्शाता है कि आप वास्तव में अपने स्वयं के मूल्य को पहचानते हैं। जब आप स्वयं खुश रहेंगे, तो प्रसन्नता और सफलता स्वतः ही आपके पास आएंगी, तभी आप कह सकेंगे – मैं खुश, तो सब खुश!